सोमवार, 19 दिसंबर 2011

'यादें'

'यादें' - खट्टी, मीठी,

वो गुज़रे लम्हों की,

अपनों की -

व रिश्तों की,

कम आती है अब मुझे,

ठीक उसी तरह----

चहचहाहट - चिड़ियों की,

घर की छोटी बगिया से,

कम आती है,

अब जिस तरह.

9 टिप्‍पणियां:

  1. सुन्दर भाव और अभिव्यक्ति के साथ उम्दा रचना लिखा है आपने! बधाई!

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  2. सुंदर भावपूर्ण खुबशुरत अभिव्यक्ति बधाई,....

    मेरे पोस्ट के लिए "काव्यान्जलि" मे click करे

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  3. संजय जी . आपके शब्दों हेतु आभार. स्नेह बनाए रखें.

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