मित्रो, हमारी संस्कृति परिलक्षित यह 'रचना' आप सभी को समर्पित है.
‘माँ’, का हो या ‘नांनी’ का,
‘ममता’, का 'आधार' है 'आँचल'
‘दादी’ का हो या ‘दीदी’ का,
‘वात्सल्य’, का 'आभास' है 'आँचल'.
‘ताई’ का हो या ‘चाची’ का,
‘सुरक्षा’, का 'अम्बार' है 'आँचल'.
‘बुआ’ का हो या ‘मौसी’ का,
‘करुणा’ का 'शैलाब' है 'आँचल'.
‘भाभी’ का हो या ‘ननदी’ का,
'देवी' का 'श्रृंगार' है 'आँचल'.
“धोती’ का हो या ‘साड़ी’ का,
‘संसकारों’ की 'जननी' है 'आँचल'.”
बदसूरत हो या मैला हो,
‘भारत’ की 'खुसबू' है 'आँचल'.
“ 'बयार' पश्चिम की आती जाए,
‘आंधी’ से, बचाना है 'आँचल'.
सिमट, आ रहा ‘दुपट्टे’ पर ये,
'हंकी', न रह जाए 'आँचल'--- 'हंकी', ना बन जाए 'आँचल' “
सरल, ‘सनातन’, ‘सभ्य’ है आँचल,
भारत की 'गरिमा' है 'आँचल', --- भारत की 'गरिमा' है 'आँचल'
achhi koshis hai, lage raho- --
जवाब देंहटाएंजोशी जी,..बहुत सुंदर प्रस्तुति अच्छी कोशिश प्रयाश जारी रखे....
जवाब देंहटाएंमेरी नई पोस्ट की चंद लाइनें पेश है....
नेता,चोर,और तनखैया, सियासती भगवांन हो गए
अमरशहीद मातृभूमि के, गुमनामी में आज खो गए,
भूल हुई शासन दे डाला, सरे आम दु:शाशन को
हर चौराहा चीर हरन है, व्याकुल जनता राशन को,
पूरी रचना पढ़ने के लिए काव्यान्जलि मे click करे
बेनामी जी- अब आ भी जाओ, आभार.
जवाब देंहटाएंधीरेन्द्र जी - मार्गदर्शन हेतु साभार धन्यवाद.
आँचल की गरिमा यूँ ही बनी रहे ..सुन्दर प्रस्तुति
जवाब देंहटाएंआदरणीय, संगीता जी, सु स्वागतम. नवागंतुक की हौसलाइफजाई हेतु आभार.
जवाब देंहटाएंआपने बहुत सरल शब्दों में आँचल की गरिमा को चित्रित किया है .बहुत सुन्दर रचना.
जवाब देंहटाएंसच है आँचल की अपनी गरिमा है....... सुंदर पंक्तियाँ
जवाब देंहटाएंपाण्डे जी, डाँ मोनिका जी, सादर आभार.
जवाब देंहटाएं...प्रशंसनीय रचना
जवाब देंहटाएंआँचल की गरिमा यूँ ही बनी रहे...जोशी जी
स्वागतम ,संजय जी . आपके शब्दों हेतु आभार. स्नेह बनाए रखें.
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