बिगत पक्ष में 'श्री तिरुपति बालाजी' यात्रा का 'सौभाग्य' प्राप्त हुआ."तिरुपति तिरुमाला देवस्थान"ट्रस्ट
(TTD) द्वारा संरक्षित, हरा भरा यह क्षेत्र अति सुरम्य व आनंद दायक है. 'तिरुपति' शहर (मैदानी क्षेत्र) से उत्तर - पश्चिम को शुरू होती है 'तिरुमला' पहाड़ियां. एक दिशा, उर्ध्वगामी एवं निम्नगामी सर्पाकार सड़क मार्ग, पहाड़ी के प्रथक - प्रथक दिशाओं से हो कर गुजरते हैं.
लगभग ३०० बर्ष, ईशा पूर्व निर्मित "श्री वेंकटेश्वर" 'बाला जी' मंदिर,तिरुमला पर्वत श्रेणियों के बीच स्थित है. १०० वर्ग गज में, शानदार नक्कासी उध्रत, खालिश पत्थरों द्वारा निर्मित, मुख्य मंदिर, वर्गाकार है. मंदिर श्रंग शंकु, स्वर्ण पट्टिकाओं द्वारा सुसज्जित हैं. प्राचीन हिन्दुस्तानी शिल्प एवम वास्तु कला का अद्भुत प्रदर्शन दर्शनीय है. अन्दर विराजमान हैं - विभिन्न स्वर्णादिक आभूषणों लदे "श्री बालाजी", जिनके 'श्याम' मुखमंडल और हथेलियों के ही दर्शन हो पाते हैं. कहा जाता है यह भारत के धनाढ्य मंदिरों में से एक है. परिक्रमा स्थल के बाह्य वृत में, मुख्य मंदिराभिमुख, बिभिन्न मंदिर विद्यमान हैं. परिक्रमा स्थल के बाह्य परिपथ में प्रशाद बितरण व्यवस्था है.बिभिन्न सुगन्धित,शुष्क मेवों व फलों का बना,विशेष स्वाद युक्त,यहाँ का 'लड्डू'(प्रशाद)जो लगभग ४०० ग्राम का होता है, प्रसिद्द है. मुख्य मंदिर का चित्र लेना मना है.
चारों ओर उच्च चारदीवारी के पूर्व - उत्तर दिशा में मुख्य द्वार है. चित्रों में यही द्वार दिखता है. सामने विशाल स्थल यात्रियों के भ्रमण व अन्य सुविधाओं युक्त है.टीवी चैनल TTD यहीं से लिए गए द्रश्य प्रसारित करता है. सामान्य दर्शकों को, छुट्टियों के समय में, अत्यधिक दर्शकों के कारण, छः- सात दिन तक, लाइन में लगने के बाद, दर्शन सुलभ हो पाते हैं. शीघ्र दर्शन हेतु वी आई पी के अतिरिक्त, र- ५०/- एवं र- ३००/- की टिकट व्यवस्था भी है. ई- टिकट दिल्ली- आंध्रा भवन से भी प्राप्त किए जाते हैं. यात्रियों हेतु बिश्राम गृह की व्यवस्था, २४ घंटे के लिए, मात्र र-५०/- में उपलब्ध है. उच्च आयवर्ग हेतु प्राइवेट गेस्ट हाउस हैं. अधिकतर भवन द्वितलीय हैं. एस . वी . म्यूजियम दर्शनीय है.
सम्पूर्ण तिरुमला क्षेत्र में नि:शुल्क बस सेवा (रथ) १५ मिनट पर उपलब्ध है. 'अन्न्दानम' में नि:शुल्क भोजन व्यवस्था है. अनुशाशित सफाई व् अन्य व्यवस्थाएं अनुकरणीय है. सम्पूर्ण तिरूमला की विद्युत् व्यवस्था 'वायु चालित टरवाइन टावर' द्वारा संचालित है. सम्पूर्ण क्षेत्र में मंदिर की कर्णप्रिय, मध्यम - मध्यम मंत्रोच्चारण ध्वनी,जगह जगह खम्बों पर लाउड स्पीकर द्वारा प्रसारित होती रहती है.
'श्री हरि विष्णु' स्वरूप 'श्री बालाजी' को कल्कि अवतार माना जाता है. सच्चे भाव से मांगी गयी मन्नत अवश्यमेव पूर्ण होती है, ऐसी मान्यताएं हैं. तिरुमला से लगभग २० किमी दूरी पर 'श्री लक्ष्मी' स्वरूप "देवी पद्मावती" का मंदिर है 'श्री बालाजी' दर्शन के बाद "देवी पद्मावती" के दर्शन करने पर यात्रा पूर्ण मानी जाती है, ऐसी प्रथा है. 'श्री बालाजी' मंदिर में सनातन हिन्दू संस्कार मुंडन, सष्ठी,उपनयन आदि संपन्न कराए जाते हैं जिनकी बहुत मान्यताये हैं.मन्नत पूर्ण होने पर श्रद्धालुओं द्वारा 'मुंडन' की प्रथा है.
भक्ति, आस्थाओं से लबालब, सर्व वैभव परिपूर्ण यह क्षेत्र दर्शनीय है.
" बिधाता ने स्वर्ग व नरक इसी लोक में रचे हैं", 'उक्ति' को मैंने सार्थक पाया.