शनिवार, 28 जनवरी 2012

'श्री तिरुपति बालाजी'


बिगत
 पक्ष में 'श्री तिरुपति बालाजीयात्रा का 'सौभाग्यप्राप्त हुआ."तिरुपति तिरुमाला देवस्थान"ट्रस्ट 
(TTD)  द्वारा संरक्षित, हरा भरा यह क्षेत्र अति सुरम्य  आनंद दायक है. 'तिरुपतिशहर (मैदानी क्षेत्रसे उत्तर - पश्चिम  को शुरू होती है 'तिरुमलापहाड़ियां. एक दिशा,  उर्ध्वगामी एवं निम्नगामी सर्पाकार सड़क मार्ग, पहाड़ी के  प्रथक - प्रथक दिशाओं से हो कर गुजरते हैं.  

लगभग ३०० बर्ष, ईशा पूर्व निर्मित "श्री वेंकटेश्वर" 'बाला जी' मंदिर,तिरुमला पर्वत श्रेणियों के बीच स्थित है १०० वर्ग गज मेंशानदार नक्कासी उध्रत, खालिश पत्थरों द्वारा निर्मितमुख्य मंदिरवर्गाकार हैमंदिर श्रंग शंकुस्वर्ण पट्टिकाओं द्वारा सुसज्जित हैंप्राचीन हिन्दुस्तानी शिल्प एवम वास्तु कला का अद्भुत प्रदर्शन दर्शनीय है. अन्दर विराजमान हैं - विभिन्न स्वर्णादिक आभूषणों लदे "श्री बालाजी", जिनके 'श्याम' मुखमंडल और हथेलियों के ही दर्शन हो पाते हैं. कहा जाता है यह भारत के धनाढ्य मंदिरों में से एक है. परिक्रमा स्थल के बाह्य वृत में, मुख्य मंदिराभिमुख, बिभिन्न मंदिर विद्यमान हैं.  परिक्रमा स्थल के बाह्य परिपथ में प्रशाद बितरण व्यवस्था है.बिभिन्न सुगन्धित,शुष्क मेवों व फलों का बना,विशेष स्वाद युक्त,यहाँ का 'लड्डू'(प्रशाद)जो लगभग ४०० ग्राम का होता है, प्रसिद्द है. मुख्य मंदिर का चित्र लेना मना है. 

चारों ओर उच्च चारदीवारी के पूर्व - उत्तर दिशा में मुख्य द्वार  है. चित्रों में यही द्वार दिखता है.  सामने विशाल स्थल यात्रियों के भ्रमण व अन्य सुविधाओं युक्त है.टीवी चैनल TTD  यहीं से लिए गए द्रश्य प्रसारित करता है. सामान्य दर्शकों को,  छुट्टियों के समय में, अत्यधिक दर्शकों के कारण, छः- सात दिन तक, लाइन में लगने के बाद, दर्शन सुलभ हो पाते हैं. शीघ्र दर्शन हेतु वी आई पी के अतिरिक्त,  र- ५०/- एवं र- ३००/- की टिकट व्यवस्था भी है. ई- टिकट दिल्ली- आंध्रा भवन से भी प्राप्त किए जाते हैं. यात्रियों हेतु बिश्राम गृह की व्यवस्था, २४ घंटे के लिए,  मात्र  र-५०/- में उपलब्ध है. उच्च आयवर्ग हेतु प्राइवेट गेस्ट हाउस हैं. अधिकतर भवन द्वितलीय हैं. एस . वी . म्यूजियम दर्शनीय है.

सम्पूर्ण तिरुमला क्षेत्र में नि:शुल्क बस सेवा (रथ) १५ मिनट पर उपलब्ध है. 'अन्न्दानम' में नि:शुल्क भोजन व्यवस्था है. अनुशाशित सफाई व् अन्य  व्यवस्थाएं अनुकरणीय  है. सम्पूर्ण तिरूमला की विद्युत् व्यवस्था 'वायु चालित टरवाइन टावर' द्वारा संचालित है. सम्पूर्ण क्षेत्र में मंदिर की कर्णप्रिय, मध्यम - मध्यम  मंत्रोच्चारण ध्वनी,जगह जगह खम्बों पर लाउड स्पीकर द्वारा प्रसारित होती रहती है.

'श्री हरि विष्णु' स्वरूप 'श्री बालाजी' को कल्कि अवतार माना जाता है. सच्चे भाव से मांगी गयी मन्नत अवश्यमेव पूर्ण होती है, ऐसी मान्यताएं हैं. तिरुमला से लगभग २० किमी दूरी पर 'श्री लक्ष्मी' स्वरूप  "देवी पद्मावती" का मंदिर है 'श्री बालाजी' दर्शन के बाद "देवी पद्मावती" के दर्शन करने पर यात्रा पूर्ण मानी जाती है, ऐसी प्रथा है. 'श्री बालाजी' मंदिर में सनातन हिन्दू संस्कार मुंडन, सष्ठी,उपनयन आदि संपन्न कराए जाते हैं जिनकी बहुत मान्यताये हैं.मन्नत पूर्ण होने पर श्रद्धालुओं द्वारा 'मुंडन' की प्रथा है. 
   
भक्ति, आस्थाओं से लबालब, सर्व वैभव परिपूर्ण यह क्षेत्र दर्शनीय है.  
बिधाता ने स्वर्ग  नरक इसी लोक में रचे हैं", 'उक्ति को मैंने सार्थक पाया. 




शनिवार, 14 जनवरी 2012

"शक्ति पुन्ज"

सर्ब विदित है - सुने, सुनाये तथ्य 'झूठ' हो सकते है , जो प्रत्यक्ष्य दृष्टीगत हो वह झूठ या मित्थ्या नहीं हो सकता क्योंकि वह 'सत्य' होता है. चूँकि 'सत्य' इश्वर का ही रूप है, इसलिए ब्रह्माण्ड में यदि कहीं "इश्वर" है तो वह है - साक्ष्यात 'शक्ति पुंज' "सूर्य".

युगों - युगों से, सर्वत्र, बिना भेदभाव के ऊर्जा प्रदान करने वाले, असीमित ऊर्जा के स्रोत "भगवान् सूर्य" दक्षिणायन पथ पूर्ण कर, मकर संक्रांति से उत्तरायण पथ को अभिमुख होते हैं और शने:- शने: बृद्धि को अग्रसर होते है.

दक्षिणायन और उत्तरायण के बीच का यह समय, 'मकर संक्रांति' पर्व के रूप में, पूरे भारत बर्ष में प्रतिवर्ष, विभिन्न त्यौहार स्वरूपों में - उत्तरायिनी (घुगुतियI), पोंगल, लोहड़ी आदि मनाया जाता है. उत्तराखंड के 'कुंमाऊं' में इस दिन प्रात: 'कौए' को बुला कर 'प्रथम भोज' देने की प्रथा है

प्राचीन ग्रंथों में इससे सम्बन्धित अनेक आलेख मिलते हैं. मकर संक्रांति को प्रात: स्नान, ‘सूर्य’ -पूजा अर्चना से मोक्ष्यदाई फल प्राप्त होते हैं, ऐसी मान्यताएं हैं. इस दिन, सम्पूर्ण भारत बर्ष में, नदियों के तट पर बसे शहरों के घाटों पर, स्नान कर, श्रद्धालु पुण्य कमाते हैं.

'मकर संक्रांति' की मंगल कामनाएं. आने वाले समय में सभी को 'शुभ फल' प्राप्त होवें.

बुधवार, 11 जनवरी 2012

'माली'



सींच रहे हो,
बगिया को-
और उसकी क्यारियों को -
बर्षों से-
आजमाई -
‘तुष्टि’ खाद,
‘बिभक्ति’ खाद,
‘केमिकल’ खाद,
किसम किसम की और भी खाद,
ऊपर से - इम्पोर्टेड खाद.

बगिया !
फिर भी बर्बाद .
‘घटिया’, घटती ‘पैदावार’,
बढती जाती 'खरपतवार',
बदले 'मालिक'
'माली' बदले
फिर वही -फटे हाल,
और पडौसी –
फटाफट आबाद.

'माली' ! !
सुन - पते की बात,
अबकी आजमा --
'अन्ना' खाद .
कम होगी- ‘खरपतवार’,

और बढ़ेगी ‘पैदावार’ l
फिर होगी, बगिया आबाद.