गुरुवार, 29 दिसंबर 2011

“फूल”

'फूल' तुम्हारी बगिया के,

सुन्दर हैं,

मिलते जुलते से, मेरी बगिया से,

क्या हुआ ?

गर 'हम तुम'

बना ना पाए, इक गुलसितां - तब,

आओ, कि एक एक पौध लाएँ,

बगिया से अपनी अपनी ...

सृजित करें,

इक नई बगिया ,

और बनाएं, नयाँ गुलसितां - अब.

सींचें फिर, उसको - उम्रभर ,

सींचें फिर, उसको - उम्रभर......

7 टिप्‍पणियां:

  1. प्यारा सन्देश.
    लगा सको तो बाग लगाओ,आग लगाना मत सीखो.

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  2. बहुत बेहतरीन प्रस्तुति|
    नव-वर्ष की शुभकामनाये|

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  3. बहुत आछा विचार है ...

    वो है नन्हा सा बीज मगर
    इक नए श्रजन का दम भरता
    बस दो पत्तों को संग लेकर
    वो जीवन की रचना करता
    आकार भले हो लघु उसका
    पर लघुता में भी है प्रभुता


    वाव वर्ष की शुभ कामनाएं

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  4. अति सुन्दर।
    नये वर्ष की हार्दिक शुभकामनायें।

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  5. दिनेश जी, स्वागत एवं आभार.

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