‘देश’ से गरीबी हटाने हेतु, देश को विकसित देश' बनाने हेतु, 'जगतगुरु' बनाने हेतु,
आर्थिक महाशक्ति बनाने हेतु, 'महांन' बनाने हेतु --- कुछ प्रचलित फार्मूले -
1. हमारे पास कृषि हेतु खाद नहीं है -- 'इम्पोर्ट' करेंगे फिर धीरे धीरे यहीं डेवलप / नक़ल करेंगे.---
बनेंगे कृषि में आत्म निर्भर.
2. हमारे पास उद्योगों हेतु - इलेक्ट्रानिक , इलैक्ट्रिक, मकेनिकल, कमंयुन्केसन,चिप,आदि औद्योगिक टेक्नोलोजी नहीं है -- पूरा 'प्रोडक्ट' ही 'इम्पोर्ट' कर,एसेंम्बल कर बेचेंगे, फिर धीरे धीरे यहीं डेवलप / नक़ल करेंगे ---- बनेंगे उद्योगों में आत्म निर्भर.
3. सुरक्षा उपकरण/ जहाज, मिसाइल आदि भी इम्पोर्ट करेंगे क्योंकि हम उत्तम क्वालिटी बना ही नहीं पाते. धीरे धीरे ------बनेंगे सुरक्षा में भी आत्म निर्भर.
4. हमारे पास 'दुकानें' नहीं हैं - 'दुकानें' भी 'इम्पोर्ट' करेंगे, और सामान भी. हमारे लोगों को रोजगार भी मिलेगा, 'इम्पोर्टेड' 'सस्ता माल' भी ऊपर से - कमाई भी ----.”दूकान भी उन्हीं की , माल भी उन्हीं का”. 'हींग लगे न फिटकिरी - रंग चोखा'-----
अपने देश में डेवलपमेंट लैब / 'आर एन डी' आदि, फालतू के लफड़े क्यों पालें. क्यों अपने नागरिकों के 'दिमांग का कीमा' बनाएं हम . हमारी प्रतिभाएं 'विदेशों में नौकरी' कर देश का नाम रोशन करेंगी.
'बनेगा स्वावलंबी हमारा देश'
एक भद्रजन - एक फार्मूला ये भी अजमा सकते हैं --
अब कुछ 'नेताओं' / मंत्रियों को भी 'इम्पोर्ट' कर लें - धीरे धीरे हमारे नेता डेवलप होंगे और बन जायेगा देश ‘भरपूर’ "स्वावलंबी" और "महान".
आखिरी वाला फार्मूला ज्यादा काम का हैं :)
जवाब देंहटाएं(कृपया वर्ड वैरिफिकेसन हटा दीजिये)
सुनील जी ! 'स्वागतम', एवं धन्यवाद.
जवाब देंहटाएंabhivykti shailee par dhyaan den. accha topic hai, lage raho -
जवाब देंहटाएंबहुत बढिया व्यंग आभार
जवाब देंहटाएंसम्माननीय, ममता जी ! 'स्वागतम', एवं धन्यवाद.
जवाब देंहटाएं'बेनामी' जी पुन: धन्यवाद. क्रपया 'नाम' से आकर क्रतार्थ करें.
जवाब देंहटाएंबड़ा सटीक व समयोचित व्यान है.
जवाब देंहटाएंआदरणीय, श्री पाण्डेजी, हौसला इफ्जाई के लिए कोटि आभार. आपकी 'मुहर' उत्साहित करती है.
जवाब देंहटाएंKeval ji...
जवाब देंहटाएंNetaon ko import karna hi bas rah gaya hai...
ab enhin ko import kiya jaaye..
Deepak...
dhanyavaad ,shukla ji. aashaa hai ham yon hi bhawanon ka adan pradaan karte rahenge.
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