'गुर' जो बताए थे ,शादी से पहले,
औ नई ग्रहस्थी, बसाने से पहले-
पियोगे कड़वे घूंट, सहोगे जितना भी अपमान,
मिलेगा उतना ही मीठा फल, उतना ही सम्मान.
आजमा लिए हैं, सारे नुक्से,
निकले 'ढाक के तीन ही पात'.
कौन सुनेगा 'दिल की लगी' को,
कहाँ करो अब, नई शुरुवात.
किस किस को मनाऊं, किस को समझाउं, अब यों, इस जंजाल में,
अगड़ा- पिछड़ा, दक्खिन - उत्तर,
नीचा - उंचा , दांया और बायाँ ,
किस बिधि पैर जमा पाऊं, अब मैं इस "ससुराल" में.
एक तो "सुरसा" सी महंगाई , उपर से ये भ्रष्टाचार,
अपनों के सुर 'विपक्षी' लगते, सभा में करते हाहाकार.
बाहर बनते सारे "अन्ना",
अंदरखाने चूसें गन्ना.
सारे बेगाने , ना कोई अपना,
ये तो लगता देश बेगाना.
'सासू जी' सपने में आओ ,
कुछ तो साल्युसन समझाओ,
'भानुमति' के इस कुनबे को , कैसे जोडूँ , कैसे मनाऊं,
कैसे 'मुन्ना' को मैं उसका, जल्दी से 'वो', हक़ दिलवाऊ.
'वो' होते तो 'ये' होता,- 'वो' होते तो ''वो" होता,
सासू जी, सोचो - क्या नहीं होता.
'ईश' !! तू दे दे, साथ सफ़र में,
उलझ गयी इस, महा भंवर में.
अब तो मन में ठान लिया है,
दिल में पक्का मान लिया है -
चाहे कोई हल्ला बोले , क्यूँ न मचाए खूब उत्पात,
दिला के रहूंगी अब 'मुन्ना' को, वो उसके ‘पुरखों’ की थात.
vyang visay upayukta hai, kavitaa chhandon par dhyaan den
जवाब देंहटाएं'बेनाम' से मुझे राह दिखाने वाले , सादर आभार. नाम सहित आते तो अच्छा था. अभी नौसिखिया हैं , क्रपया त्रुटियाँ बताते रहें. पुन: धन्यवाद .
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छा! पहले मैंने सोचा कोई घर-दामाद अपनी व्यथा सुना रहा है. देनेवाले यदि थाली में रखकर मुन्ना को थात देंगे तो मुन्ना मना थोड़े ही करेगा!
जवाब देंहटाएं'धन्यवाद', फ़ोकट में तो कोई नहीं देता , मेहनत तो बहुत और भी करनी पढ़ेगी , देखते हैं- ऊट किस करवट बैठता है.
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