शनिवार, 17 मार्च 2012

"दिशा निर्देशन"


         'विलक्षण प्रतिभा' कभी भी परिस्थितियों की मोहताज़ नहीं रहती. कठिन से कठिन बाधाएं, उसका मार्ग अवरुद्ध नहीं कर पाती.  'भारत भूमिमें भी- "जहाँ  'नीति निर्धारकों'  ने  समाज को बिभिन्न वर्ग - जातियों'ऊँच - नीच' के जंजाल में फसाकर, हमेशा अपना उल्लू सीधा किया है,"  अनेक महापुरुषों ने इस तथ्य को सिद्ध  किया है.  'बाबासाहब आंबेडकर' आदि इसके प्रत्यक्ष्य उदाहरण है. वर्तमान में हमबाबा रामदेव' की  प्रष्ठ भूमि में जाएँ तो एक उदाहरण और मिलता है. साधारण, गरीब किसान परिवार में जन्म और साथ में 'विकलांगता' लिए दर - दर की ठोकरें खाते हुए , जीवट  जिज्ञासा लिए हुए, 'एकाग्रता' के फल स्वरूप आज वो जिस मुकाम पर हैं किसी से छुपा  नहीं है. "योग" के साथ साथ उनके  निर्देश - निर्मित  दिव्य फार्मेसीके 'आयुर्वेदिक' उत्पादों से सभी परिचित हैं, जो अब खुले बाज़ार में उपलब्ध हैं

वर्तमान  व्यापारिक  'प्रतिस्पर्धता' युग में बाज़ार के दिग्गजों के कान खड़े होना स्वाभाविक है. बहुराष्टीय कम्पनियां, जो कि हमारे राजनेताओं - 'नीति निर्धारकोंकी  मेहरबानियों से  व्यापार - लाइसेंस प्राप्त करते हैं, बेचैन हैं. तरह तरह की भ्रांतियां फैलाई जा रही हैं. हमारी कुछ  राजनीतिक पार्टियाँ  भी, कुछ दबी जुबान से,  तो कुछ प्रखरता से  विरोध की जुगत  भिड़ा रहे हैं. इस प्रकरण में  शायद कहीं उनका भीहित’ प्रभावित हो रहा हो, बरनास्वदेशी’ पर तो किसी को भी एतराज नहीं होना चाहिए.  कभी उत्पादों की गुणवत्ता, तो कभी 'योग' पर ही अंगुली उठा रहे हैं. इनके कारखाने  में 'श्रम शोषण', 'उद्योग अनियमिता, 'कर चोरी' आदि - आदि आरोप, आये दिन लगते रहते हैं. इनके सहयोगियों पर भी 'शैक्षिक योग्यता' सम्बन्धित आरोप लगते हैं.     
                                                                                                                                                                            
वर्तमान सरकार की 'कारगुजारियां' भी किसी से छुपी नहीं हैं, काफी जांच, खोजबीन इस दिशा में हो चुकी , पर अभी तक कोई भी आरोप सिद्ध हो पाया, एसा नहीं सुना.

"साधु- संत को इस तरह व्यापार नहीं करना चाहिए"  इस बात से भी सहमत नहीं हुआ जा सकता.  पूर्वकाल  में जितने  भी खोज , अनुसन्धान हुए हैं, ऋषि मुनियों, साधु संतों केदिशा निर्देशों’ से ही संभव हो पाए हैं क्योंकि ये लोग हीएकाग्रचित्त’ से "योग" और  'खोज' में लीन रहते थे , एसा हमारे एतिहासिक ग्रंथों में उल्लेख मिलता है.

कभी कभी लगता है कि 'मीडिया' जगत भी 'इस क्षेत्र' से  दूरियां बना रहा है. 'विज्ञापन पोषित 'मीडिया'  को  भी अपना  हित देखना है, क्योंकि 'रामदेव' ब्रांड उत्पादकुछ ख़ास 'टेलिविज़न चेनल्समेंखुद 'स्वामी रामदेव' द्वारा ही विज्ञापित होते हैं.  कहा नहीं जा सकता, उनके उत्पादों  में कितनी शुद्धता  है, लेकिन  इनके उत्पाद धीरे - धीरे  बाज़ार में पैठ बनाते जा  रहे हैं. इसमें कुछ बुराई भी नहीं दिखती

विविध - कच्चे माल के भण्डार, हमारे देश में, "स्वदेशी उत्पादन" तो हर दिशा से उचित है. उत्तम गुणवत्ता युक्त 'स्वदेशी उत्पादन'  के अगले कदम  में "चीन " व् अन्य देशों से मुकाबला कर, निर्यात किया जा सकता है. ‘स्वदेसी मुद्रा’ बचाते हुए , ‘विदेसी मुद्रा’ अर्जित की जा सकती है,  फलस्वरूप "भारत"  पुन: 'सोने की चिड़िया' बन सकता है 

आवश्यकता है दूरदर्शी सोच रखते हुए उचितदिशा निर्देशन” की. यदि 'बाबा रामदेव' इस दिशा में प्रयासरत हैं तो समूचे देशवासियों को पूर्वाग्रहों से उपर उठ कर,  इस महान कार्य में सहमत होना ही चाहिए

20 टिप्‍पणियां:

  1. आपकी बातें विचारणीय हैं ....निश्चित रूप से हमें गहन मंथन की आवश्यकता है ...!

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  2. kya aapki ye post main apne blog par aapke naam ke sath post kar sakti hun? kripya p4panchi@gmail.com par reply kare.

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  3. नेताओं को देश में निर्मित माल से "माल" नहीं मिलता इसलिए विदेशी माल से "माल" बनाते हैं .
    बहुत अच्छा लेख है .

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  4. सु स्वागतम, राजपूत जी. स्नेह बनाए रखें.

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  5. स्वदेसी मुद्रा’ बचाते हुए , ‘विदेसी मुद्रा’ अर्जित की जा सकती
    सही चिंतन

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  6. सुन्दर प्रस्तुति, अच्छा प्रयास।
    विचारणीय विषय।
    धन्यवाद

    आनन्द विश्वास

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  7. ननीय आनंद जी, सुस्वागतम. स्नेह बनाये रखें.

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  8. वाह !!!!! बहुत सुंदर आलेख ,क्या बात है,बेहतरीन सार्थक सटीक अभिव्यक्ति,

    MY RECENT POST...काव्यान्जलि ...: तुम्हारा चेहरा,

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  9. पिछले कुछ दिनों से अधिक व्यस्त रहा इसलिए आपके ब्लॉग पर आने में देरी के लिए क्षमा चाहता हूँ...

    .....सुन्दर प्रस्तुति विचारणीय विषय है केवल जी

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  10. 'रामदेव' ब्रांड उत्पाद, कुछ ख़ास 'टेलिविज़न चेनल्स' में, खुद 'स्वामी रामदेव' द्वारा ही विज्ञापित होते हैं. कहा नहीं जा सकता, उनके उत्पादों में कितनी शुद्धता है, लेकिन इनके उत्पाद धीरे - धीरे बाज़ार में पैठ बनाते जा रहे हैं. इसमें कुछ बुराई भी नहीं दिखती.

    एक सटीक और स्पष्ट वक्तव्य ....यकीन इसमें बुराई है भी नहीं.......

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